फेंसिंग पोल गढ़कर ये पांच महिलाएं बनी लखपति

फेंसिंग पोल गढ़कर ये पांच महिलाएं बनी लखपति

फेंसिंग पोल गढ़कर ये पांच महिलाएं बनी लखपति, गौठान मल्टीएक्टिविटी सेंटर चेरवापारा है इनका वर्किंग प्लेस’
’मां अम्बे समूह की महिलाओं ने पोल बेचकर कमाए 26 लाख रुपये, 9 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा’
’शासन की योजना से गांव में ही काम मिला और अब अपने हाथ में पैसों की कमान ने जगाया नया आत्मविश्वास’

कोरिया 01 जून 2022/गौठान आजीविका से आज पूरे छत्तीसगढ़ में महिलाएं आत्मनिर्भरता के नए आयाम स्थापित कर रही हैं। वर्मी कम्पोस्ट निर्माण के अतिरिक्त गौठान मल्टीएक्टिविटी सेंटरों में खाद्य प्रसंस्करण, पोल निर्माण, पेवर ब्लॉक निर्माण, ट्री गार्ड निर्माण, किचन गार्डन, टॉयलेटरिज, सैनिटरी नैपकिन, साबुन, डिटर्जेंट निर्माण, सामुदायिक बाड़ी जैसी गतिविधियों लाखों की आय अर्जित कर रही हैं जिससे महिलाओं में नया आत्मविश्वास जागा है।
कोरिया जिले के ग्राम पंचायत चेरवापारा में मल्टीएक्टिविटी सेंटर में मां अम्बे समूह की पांच महिलाएं फेंसिंग पोल बनाने का काम कर रही हैं। बीते दो सालों में महिलाओं ने 8 हज़ार से भी ज्यादा फेंसिंग पोल का निर्माण किया है। और महिलाएं सिर्फ पोल बना ही नहीं रही, बड़े ही कुशल व्यवसायी की तरह उनका विक्रय भी कर रही हैं।
कलेक्टर श्री कुलदीप शर्मा के निरीक्षण के दौरान समूह की सदस्य विमला राजवाड़े बताती हैं, ष्अब तक 8 हज़ार 880 पोल की बिक्री कर चुके हैं जिससे 26.25 लाख रुपये की आय हुई। इसमें हमारा शुद्ध मुनाफा 9 लाख रुपये रहा। हर महिला को कुल 1.50 लाख रुपये मिले।ष्
विमला बताती हैं कि इस आजीविका से उन्हें जो राशि मिली, वह उनके आड़े वक्त में काफी काम आयी। पति के देहांत के बाद उनकी तबियत खराब रही और इस बीच बेटे की शादी भी करवाई। इस वक़्त कमाया हुआ पैसा काम आया।
आगे विमला ने पोल निर्माण और विक्रय की जानकारी देते हुए बताया कि वे लोग तीन साल से पोल निर्माण का काम कर रहे हैं। जिसमें उनके साथ राजकुमारी, फुलेश्वरी, किस्मत बाई और लीलावती शामिल हैं। कोरोना काल में काम थोड़ा धीमा रहा, पर इसके बाद काम में तेजी लाते हुए पोल बनाना शुरू किया। 1 दिन में महिलाएं लगभग 60 पोल बना लेती हैं। एक पोल की लागत 210 रुपये तक रहती है और विक्रय में 270 से 300 रुपये तक में एक पोल बेचते हैं। एक पोल पर 80-90 रुपये मुनाफा रहता है। विमला की तरह ही अन्य महिलाओं ने भी अपने परिवार को आर्थिक सहारा दिया। महिलाएं कहती हैं कि शासन की योजना से गांव में ही काम मिला और अब अपने हाथ में पैसों की कमान ने उनमें नया आत्मविश्वास जगाया है।

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