जीवन जीने की कला सिखाता है हिन्दू  धर्मः स्वामी शिवरूपा नंद महाराज

जीवन जीने की कला सिखाता है हिन्दू धर्मः स्वामी शिवरूपा नंद महाराज

जीवन जीने की कला सिखाता है हिन्दू  धर्मः स्वामी शिवरूपा नंद महाराजत्रिलोकी मां कालीबाड़ी मंदिर में अमावस्या पूजा एवं धर्म आस्था सम्मेलन सम्पन्न

रायपुर। भारत सेवाश्रम संघ वैदिक धर्म एवं संस्कृति पर आधारित धर्मार्थ देश प्रेमी सेवा संस्थान है जिसका उद्देश्य देश में हिन्दू धर्म का प्रचार-प्रसार एवं हिन्दुओं को अपने धर्म व संस्कृति के प्रति जागरुक करना है। सनातन हिन्दू धर्म जीवन जीने की कला सिखाता है। यह धर्म हमें ईश्वर में आस्था, परोपकार, ईमानदारी, सत्यनिष्ठा जैसे संस्कार प्रदान करता है। हमें हिन्दू धर्म की रक्षा करनी चाहिए और गर्व करना चाहिए।यह बातें भारत सेवाश्रम संघ के सचिव स्वामी शिवरूपानंद जी महाराज ने रायपुर  के डॉ. राजेंद्र नगर स्थित त्रिलोकी मां कालीबाड़ी मंदिर प्रागंण में अमावस्या पूजा के अवसर पर आयोजित धर्म आस्था सम्मेलन एवं शस्त्र आरती पूजा के अवसर पर कहीं। त्रिलोकी मां कालीबाड़़ी समिति के सचिव श्री विवेक बर्धन ने बताया कि डॉ. राजेंद्र नगर स्थित त्रिलोकी मां कालीबाड़ी मंदिर प्रांगण में अमावस्या पूजा के  अवसर पर भारत सेवाश्रम संघ के सचिव स्वामी शिवरूपानंद जी महाराज सहित अनेक अनुयायियों ने शस्त्र आरती पूजा की। इस अवसर पर  धर्म आस्था सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें सनातन हिन्दू धर्म से संबंधित विविध  विषयों पर चर्चा की गई। भारत सेवाश्रम संघ के सचिव स्वामी शिवरूपानंद जी महाराज ने इस अवसर पर कहा कि भारत सेवाश्रम संघ की स्थापना स्वामी प्रणवानंद जी महाराज ने 1917 में की थी। संघ का उद्देश्य देशप्रेम, मानव सेवा और शक्तिशाली आध्यात्मिक राष्ट्र का गठन करना है। उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म सनातन वैदिक धर्म है जिसका लक्ष्य है मनुष्य  की आध्यात्मिक उन्नति करना। इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत स्वामी भारत सेवाश्रम संघ के संस्थापक स्वामी प्रणवानंद जी महाराज की प्रतिमा पर माल्यार्पण, दीप प्रज्ववलन और पूजा-अर्चना व भजन के साथ की गई। भारत सेवाश्रम संघ के अनुयायियों ने शस्त्र पूजा की।  पूजा के उपरांत भोग प्रसादी का कार्यक्रम आयोजित किया गया।

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